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    Home»Nibandh»Essay on Janmashtami | जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में
    Nibandh

    Essay on Janmashtami | जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में

    BhartiBy BhartiFebruary 22, 2023No Comments5 Mins Read
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    Essay on Janmashtami
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    Table of Contents

    •  जन्माष्टमी पर निबंध
      • परिचय :-
        • कब और क्यों मनाया जाता है?
          • तैयारी:- 
          • मथुरा में जन्माष्टमी:- 
          • जन्माष्टमी पूजा में उपयुक्त सामग्री:-
      • मटकी फोड़ प्रतियोगिता:-
          • निष्कर्ष:- 

     जन्माष्टमी पर निबंध

    आज के इस ब्लॉग में मैं आप लोगों के साथ फिर से एक नई जानकारी लेकर आया हूं। मेरे ब्लॉग Gyan Adda मैं आप सभी का स्वागत है। आज के इस ब्लॉग में मैं आपको जन्माष्टमी के बारे में बताने वाला हूं। 

    जिसके अंतर्गत मैं आपको जन्माष्टमी के संबंधित तमाम जानकारी एक ही पोस्ट में देने का प्रयास करूंगा। हम सब जानते हैं कि जन्माष्टमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है । हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

    परिचय :-

     जन्माष्टमी का अर्थ है जन्म +अष्टमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष को भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी की रात्रि को हुआ था।जन्माष्टमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। श्री कृष्ण भगवान के जन्मदिन के उपलक्ष्य में लोग इसे जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसी दिन कृष्ण कन्हैया भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। यह त्योहार भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

    इसके अतिरिक्त या त्यौहार नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अमेरिका एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है। इसके साथ ही साथ जहां पर भी भारतवासी दुनिया के कोने में रहते हैं वहां पर हुआ इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। यह त्योहार पूरे आस्था और विश्वास के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है। 

    कब और क्यों मनाया जाता है?

    भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को हम सभी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। 

    कंस मथुरा का राजा था। जो अत्यंत दुराचारी और प्रतिक्रियावादी था। वह लगातार ऋषि-मुनियों और अन्य लोगों पर अत्याचार करता रहता था। एक दिन की बात है आकाश से भविष्यवाणी हुई की उसके बहन देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसकी मृत्यु होगी।

     यह सुनकर कंस ‌ काफी भयभीत हो गया और अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया। वह देवकी को जब भी पुत्र की प्राप्ति होती है तो कंस जाकर उसको मार देता था। वह सोचता था कि इसी तरह देवकी के आठवें पुत्र को मार देगा ताकि उसकी मृत्यु टल जाए। इस तरह से लगातार हुआ देवकी के सात पुत्रों को मारता गया।

     आठवें पुत्र की बारी आई देवकी के पुत्र से इस बार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात को एवं मूसलाधार बारिश में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो सारे पहरेदार सो गए एवं देवकी और वासुदेव के हाथों की जंजीरे स्वत: अपने आप खुल गई। इस बार वासुदेव में श्री कृष्ण भगवान जी को नंद बाबा और यशोदा मैया के यहां उसी रात दे आते। भगवान श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा मैया और नंद बाबा ने की। वहां जाकर भगवान ने कई बाल लीलाएं भी थी।भगवान श्रीकृष्ण ने आगे चलकर अपने मामा कंस का वध किया और मथुरा वासी को एवं समस्त संसार को भय मुक्त कर दिया। 

    तैयारी:- 

    इस की तैयारी कई दिन पहले से की जाती है। अनेक जगहों पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा बनाई जाती है। लोग उसकी पूजा के लिए पहले से तैयारी में लग जाते हैं। ताकि कृष्ण कन्हैया के जन्मदिन को धूमधाम से मनाएं। लोग इसकी तैयारी के लिए बाजार में खरीदारी करते हैं एवं पूजा में उपयुक्त अनेक समान लाते हैं। साथ ही साथ सजावट के अनेक रंग बिरंगे एवं आकर्षक चीजें खरीदते हैं ताकि भगवान जी को अच्छे ढंग से सजाया जाए।

    मथुरा में जन्माष्टमी:- 

    मथुरा में जन्माष्टमी के दिन कई जगहों से लोग इस स्थान पर इस त्यौहार को देखने के लिए आते हैं। श्री कृष्ण का जन्म स्थान होने के साथ ही साथ हुआ है यहां के द्वारकाधीश भी रह चुके हैं। कुछ दिन पूरे मथुरा को सजाया जाता है । पूरे मथुरा वासी जन्माष्टमी के त्यौहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। और अपने लल्ला श्री कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना करते हैं।

    जन्माष्टमी पूजा में उपयुक्त सामग्री:-

    इस पूजा में अनेक प्रकार की सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। जिसमें की फल, दूध, मक्खन, धनिया मेवे , पंचामृत, अक्षत, चंदन, गंगाजल, तुलसी दल, चंदन, मिश्री, तथा फूलों का आवश्यकता मूल रूप से पड़ती है। 

    उपवास :- इस दिन बहुत सारे कृष्ण भक्त उपवास रखते हैं ताकि वह श्री कृष्ण भगवान की पूजा कर सके। और रात्रि को भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना के बाद ही अन्य जल ग्रहण करते हैं। 

    मटकी फोड़ प्रतियोगिता:-

    जन्माष्टमी के शुभ दिन पर जगह जगह पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें बाल -गोपाल भाग लेते हैं। लोगों द्वारा मटकी में माखन रख कर उसे एक उचित ऊंचाई पर आसमान में टांग दिया जाता है। फिर एक दूसरे की मदद से आसमान में लटके हुए मटकी तक पहुंचा जाता है और फिर इसे फोड दिया जाता है। इस प्रतियोगिता को देखने में बहुत सुंदर लगता है। लेकिन यह कभी-कभी खतरनाक भी हो सकते हैं इसीलिए हमें पहले से सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी प्रकार के दुर्घटना का हम शिकार ना हो जाए।

    मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

    श्री कृष्ण के जन्मदिन के अगले दिन कई जगहों पर मेला का आयोजन किया जाता है। भक्तों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के दर्शन की जाती है और मेले का आनंद उठाते हैं। साथ ही साथ कई चीजें भी खरीदते हैं। इस दिन कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। 

    निष्कर्ष:- 

    हमें जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाना चाहिए। हमें उस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करनी चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि हम उपवास ही करें। कहीं या ना हो जाए कि हम उपवास के हैं और इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर गया ‌। हमें चाहिए कि इसकी पूजा श्रद्धा भाव एवं आस्था के साथ हो। इसीलिए जरूरी है कि हम सिर्फ श्रद्धा एवं भाव से मनाएं।

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