आज का हमारा आर्टिकल होली पर निबंध से संबंधित है।
भारत विभिन्न विविधताओं वाला देश है। भारत में हर त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाई जाते हैं। भारत के मुख्य त्योहारों में दीपावली, दशहरा, नवरात्रि, बैसाखी, लोहड़ी, नववर्ष, ईद, रमजान, मुहर्रम, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि और होली आदि बनाए जाते हैं।
आज हम आपको होली पर निबंध की सहायता से होली त्योहार से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे।
होली का महत्व
होली रंगों का त्योहार है और भारत में होली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली दो रूप से मनाई जाती है एक धुलेंडी और दूसरी रंगों वाली होली। धुलेंडी के दिन गोबर के उपलों को इकट्ठा करके एक बड़ा सा ढेर बनाया जाता है और उसमें कई तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं और भगवान से आशीर्वाद मांगा जाता है। इसके बाद रंग वाली होली आती है जिसमें सभी तरह के रंगों जैसे लाल, हरा, नीला, गुलाल, पीला, संतरे, सफेद आदि रंगों से लोग होली खेलते हैं और एक दूसरे को गले लगाकर होली की बधाई देते हैं। साल 2022 में होली 18 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू समुदाय का यह सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है क्योंकि होली के पीछे एक धार्मिक कथा है जिसे लोग बहुत मानते हैं।
होली की ऐतिहासिक कथा
होली त्योहार के पीछे एक प्राचीन इतिहास जुड़ा हुआ है। सतयुग में असुरों का राजा हिरण कश्यप हुआ करता था और उस के दरबार में विष्णु भगवान की पूजा प्रतिबंधित थी परंतु हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान का बहुत बड़ा भक्त निकला और वह दिन-रात विष्णु भगवान की भक्ति करता रहता था हिरण्यकश्यप किसी भी तरह प्रह्लाद को विष्णु भगवान की भक्ति से दूर करना चाहते थे। हिरण्यकश्यप ने कई कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहा उसने स्वयं के पुत्र को मारने का आदेश दिया कभी उसे हाथी के पैर से कुचलने तो कभी पहाड़ में फेंकने का प्रयास किया। लेकिन यह भगवान विष्णु का ही आशीर्वाद था जो पिता द्वारा इतनी क्रूरता प्राप्त करने के बावजूद भी प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ अंत में उसने अपनी बहन होलिका से रात को मारने के लिए आदेश दिया। होलिका को यह वरदान मिला था कि वह कभी भी अग्नि में भस्म नहीं हो सकती है। हिरण्यकश्यप के इस आदेश पर एक लकड़ी का ढेर बनाया गया और होलिका उस लकड़ी के ढेर के बीच प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गए इसके बाद उस लकड़ी के ढेर में आग लगा दी गई। प्रह्लाद होलिका की गोद में बैठकर भगवान का नाम जपता रहा और जैसे ही आग बढ़ती गई होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। होलिका जिसे वरदान प्राप्त था वह जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ क्योंकि वह भगवान की भक्ति करता था। इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।
होली त्यौहार की तैयारी
भारत में होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और होली से 10 दिन पहले ही धुलेंडी और रंगों वाली होली के लिए बाजारों में सामान आ जाता है। सभी तरह के रंग पैकेट में बाजारों में मिलने लगते हैं और होली के दिन बनने वाले पकवान हो जैसे गुजिया, मटरी, नमकपारे आदि भी मिठाइयों की दुकान पर बिकने लगते हैं। घरों में सफाई होने लगती है और घर में भी गुजिया और मिठाई बनाई जाती है। छोटे से बड़े लेकर सभी नए कपड़े पहनते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग पुराणिक लोकगीत गाते हैं जिससे घर का माहौल एकदम खुशनुमा हो जात है।
ग्रामीण क्षेत्र में होली त्योहार की तैयारी देखने से बनती है। गांव में धुलैंडी के लिए बच्चे पहले से ही लकड़ी इकट्ठा करने लगते हैं और आग जलाने के लिए गोबर के उपलों का भी इंतजाम करते हैं। गांव के सभी बड़े बुजुर्गों और नौजवान तथा महिलाएं रात में धुलैंडी के लिए एक साथ इकट्ठा होती है और बनाए गए ढेर की परिक्रमा करते हुए और भगवान को पकवान अर्पण करते हुए उनकी आराधना करते हैं और उनसे कुशल जीवन की कामना करते हैं।
होली की सीख
होली की पुरानी कथा से हमें यह ज्ञात होता है कि कैसे एक हिरण्यकश्यप ही अपने पुत्र प्रह्लाद को ईश्वर की भक्ति करने से रोकने के लिए उसकी मृत्यु तक पहुंच जाता है लेकिन भगवान के आशीर्वाद से प्रह्लाद को कुछ नहीं होता है। हिरण्यकश्यप के इस अहंकार में उसकी बहन होलिका भी मृत्यु की भेंट चढ़ जाती है। होली की इस कहानी से हमें यह सीखना चाहिए कि हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ हमें आवाज उठानी चाहिए क्योंकि सत्य की हमेशा जीत होती है और ईश्वर सच बोलने वालों का ही साथ देता है। होली पर कई क्षेत्रों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ होती है जो बिल्कुल भी सही नहीं है, कई बार होली में जबरदस्ती महिलाओं को रंग लगाया जाता है अतः ऐसा लोगों को नहीं करना चाहिए और होली केवल उन्हीं लोगों के साथ खेलने चाहिए जो मन से होली खेलना चाहते हैं। समाज से ऐसी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए। इसीलिए होली पर सभी यही प्रार्थना करते हैं कि समाज से सारी कुरीतियां खत्म हो जाए और सभी को न्याय मिले।
होली पर 10 लाइन
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होली फागुन मास के महीने में मनाई जाती है और यह हमेशा शीत ऋतु के अंत में ही खेली जाती है।
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होली बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
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होली में कई रंगों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, गुलाल।
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साल 2022 में होली 18 मार्च को मनाई जाएगी।
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होली दो रूप में मनाई जाती है पहली धुलेंडी और दूसरी रंगों वाली होली।
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होली में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं जिसमें सबसे विशेष गुजिया होती है।
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होली खेलते हुए केवल प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि केमिकल वाले रंगों से त्वचा को हानि पहुंच सकती है।
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होली हिंदू धर्म का एक पवित्र त्यौहार है।
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होली केवल उन्हीं लोगों के साथ खेलनी चाहिए जो अपने मन से होली खेलना चाहे और होली पर किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।
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होली पर एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई दी जाती है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको होली पर निबंध से संबंधित जानकारी दी है।