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    Home»Nibandh»लोहड़ी पर्व पर निबंध – Lohri par Nibandh – Essay in Hindi
    Nibandh

    लोहड़ी पर्व पर निबंध – Lohri par Nibandh – Essay in Hindi

    HimanshuBy HimanshuJanuary 12, 2022No Comments6 Mins Read
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    आज का हमारा आर्टिकल लोहड़ी
    पर्व पर निबंध (
    Lohri Essay in
    Hindi
    से संबंधित है

    भारत अनेक विविधताओं वाला
    देश है और यहां पर कई धर्म के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं और सभी धार्मिक त्यौहार
    बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते हैं। भारत में कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिसमें
    होली दिवाली दशहरा मकर संक्रांति मोहर्रम ईद क्रिसमस आदि त्योहार शामिल है।

     इन में से कई पर्व ऐसे हैं
    जिन्हें एक निश्चित वर्ग और धर्म के लोगों द्वारा महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है
    जिसमें पंजाबियों का लोहड़ी पर्व शामिल है।

    हमारे इस लेख में हम आपको
    लोहड़ी निबंध (
    Lohri Essay in
    Hindi)
    के रूप में लोहड़ी पर्व
    से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।


    Table of Contents

    • लोहड़ी पर्व पर निबंध – Lohri Essay in Hindi
    • लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है?
    • लोहड़ी पर्व का पहला नाम क्या था ‌?
    • लोहड़ी पर्व कब मनाया जाता है?
    • लोहड़ी पर्व में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ

    लोहड़ी पर्व पर निबंध – Lohri Essay in
    Hindi

    लोहड़ी पर्व उत्तर भारत में
    प्रसिद्ध एक महत्वपूर्ण पर्व है और यह खासकर पंजाबी भाई बहनों के लिए काफी महत्वपूर्ण
    है। इसके अलावा इसे हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी बनाया जाता है। लोहड़ी
    का त्यौहार मकर संक्रांति से 1 दिन पहले मनाया जाता है।

     लोहड़ी का त्यौहार मनाने
    के लिए पंजाब और आसपास के राज्यों में चार-पांच दिन पहले ही तैयारियां शुरू हो जाती
    है और इस तैयारी में लोग लकड़ियां और आग में आहुति देने के लिए रेवड़ी, मेवे, गजक,
    मक्का, मूंगफली जैसे सूखे मेवे इकट्ठे कर लेते हैं।

     लोहड़ी के पर्व के मौके पर
    सभी परिवार जन और आसपास के पड़ोसी एक साथ इकट्ठा होते हैं और शाम के समय लकड़ियों को
    इकट्ठा करके आग जलाते हैं जिसमें वह रेवड़ी, मेंवे, गजक, मक्का, मूंगफली आदि सूखे मेवे
    डालते हैं और गाना गाते हुए जलती हुई आग का चक्कर लगाकर आशीर्वाद और परिवार के स्वच्छता
    और कुशलता की कामना करते हैं। किसानों द्वारा नई फसल और धान की भेंट भी आग में आहुति
    दी जाती है।‌

     त्योहार मनाने के बाद को
    प्रसाद के रूप में मक्का, गजक, मूंगफली व रेवड़ी बांटी जाती है। छोटे बच्चे और बड़े
    नए कपड़े पहनते हैं। इसके अलावा सिख भाई-बहन गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं और परिवार
    की कुशलता के लिए कामना करते हैं और सब को लोहड़ी पर्व की बधाई देते हैं।

     पंजाबियों में गुरु नानक
    पर्व के बाद यह त्यौहार अपनी ही एक महत्वपूर्ण पहचान रखता है और पंजाब में खास तौर
    पर यह एक पूजनीय तरीके से बनाया जाता है इस त्यौहार के साथ पंजाबी धर्म के लोगों की
    भावना जुड़ी है। विश्व में सबसे ज्यादा किसान पंजाब में पाए जाते हैं और लोहड़ी पर्व
    के दिन तथा उससे पहले जब नई फसल काटी और बोई जाती है तो उसे भगवान को अर्पित किया जाता
    है तथा यह लोहड़ी पर्व को मनाने का एक प्रमुख कारण रहा है और इस दिन से सिखों के नए
    साल की शुरुआत भी होती है।

     बदलते वक्त के साथ केवल पंजाबी
    ही नहीं बल्कि अब सभी धर्म के लोग और खासकर हिंदू धर्म के लोग भी इसे हर वर्ष 13 जनवरी
    को मनाने लगे हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि लोहड़ी पर्व सिखों के नए साल की शुरुआत होती
    है।
     

    लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है?

    लोहड़ी पर्व को मनाने के
    पीछे कई तरह की ऐतिहासिक कथाएं प्रसिद्ध है जिसमें से एक कथा के बारे में हम आपको बताने
    जा रहे हैं जो लोहड़ी पर्व के मनाने के कारण से संबंधित प्रचलित कथा है।

     ऐतिहासिक पंजाब में सुंदरी
    मुंद्री नाम की दो बहने थी जिनके माता-पिता नहीं थे और वह बिल्कुल निर्धन थे सुंदरी
    मुंद्री के एक चाचा भी थे और वह दोनों बहनों का विवाह पैसों के लालच में आकर एक जालिम
    राजा से कराना चाहते थे और उन्हें विधिवत शादी किए बिना ही दोनों बहनों को उस राजा
    के पास भेजना चाहते थे परंतु उस समय गांव में दुल्ला भट्टी नाम का डाकू भी रहता था।
    जब उसे यह बात पता चली तो उसने दोनों बहनों का विवाह दो अच्छे लड़कों से करवा दिया
    और कन्यादान के वक्त दुल्ला भट्टी ने शक्कर भेंट की।
     

    लोहड़ी पर्व का पहला नाम क्या था ‌?

     लोहड़ी पर्व काफी पुराने
    समय से मनाया जा रहा है और यह न केवल पंजाब ने बल्कि दिल्ली जम्मू कश्मीर हरियाणा हिमाचल
    प्रदेश बंगाल उड़ीसा आदि राज्यों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वर्तमान
    समय में यह पर्व का नाम लोहड़ी है परंतु ऐतिहासिक समय या लोहड़ी को पहले तिलोड़ी पर्व
    के के नाम से जाना जाता था।
     

    लोहड़ी पर्व कब मनाया जाता है?

     हर साल लोहड़ी का त्यौहार
    मकर संक्रांति से 1 दिन पहले शाम के वक्त 13 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति
    का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है। सिखों और हिंदू धर्म में यह पर्व अपनी एक महत्ता
    रखता है। सबसे ज्यादा किसान पंजाब में और उत्तर भारत के राज्य में पाए जाते हैं और
    उत्तर भारत के राज्य से ही फसल का आवंटन भारत के सभी राज्य और पूरे विश्व में किया
    जाता है। किसान अपनी फसल के महत्व को समझता है क्योंकि यह फसल बेचकर ही वह अपनी आजीविका
    प्राप्त करता है जिससे उसका घर और जीवन यापन सुचारू रूप से चलता है और मकर संक्रांति
    और लोहड़ी जैसे पर्व पर वह अपनी फसल के कुछ हिस्से को भगवान को जरूर अर्पित करता है
    ताकि उसकी फसल अच्छी उगे और फसल से उसे अच्छी आजीविका प्राप्त हो। ‌
     

    लोहड़ी पर्व में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ

     लोहड़ी पर्व के आने से पहले
    ही बाजार में सूखे मेवे और लोहड़ी संबंधित सूखे भोज्य पदार्थ मिलने लगते हैं जिसे लोग
    बड़े चाव से खरीद कर खाते हैं। ‌ लोहड़ी के पर्व में इस्तेमाल होने वाले सूखे मेवे
    जैसे गजक, गुड़ की पट्टी, मूंगफली आदि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छे होते हैं और
    यह सर्दी में शरीर को गर्म रखने में भी सहायता प्रदान करते हैं। ‌ गुड़ की पट्टी का
    सेवन करने से प्रोटीन और ग्लूकोज की मात्रा शरीर में सामान्य रूप से बनी रहती है। मूंगफली
    के सेवन से शरीर में गर्मी बनी रहती है और यह पाचन तंत्र को भी सुचारू रूप से काम करने
    में सहायता प्रदान करती है जिससे खाया हुआ खाना आसानी से पच जाता है और कब्ज जैसी समस्या
    भी दूर हो जाती है।
     

    निष्कर्ष

     इस आर्टिकल में हमने आपको
    लोहड़ी पर्व से संबंधित जानकारी प्रदान की है।

    Essay
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